तुम्हारी तस्वीर
जब भी इस गली आता हूं मैं
तुम्हारी तस्वीर नजर आ जाती है
न चाहते हुए नजर रुक जाती है
जानें क्या बात है इसमें समाई
न मैं तुम्हारा हूं, न तुम हो पराई
आंखों से दिल में ये उतर आई
अब हर पल, हल लम्हा देखूं
ऐसा कहता है ये मन
विचलित होकर भी स्थिर हूं
कर लिए लाख जतन
बस तुमको पाना है मकसद अब
उम्र का बंधन तोड़कर आना होगा
हर निगाह से तुमको बचाना होगा
सोचता हूं वो घड़ी आएगी कब
जब भी इस गली आता हूं मैं
तुम्हारी तस्वीर नजर आ जाती है
- लाली कोष्टा