Saturday, December 5, 2009

मेरे बारे में - एक फोटोग्राफर पत्रकार नही बन सकता यानि की लिख नही सकता । जब ये बात बार बार मुझे लोग कहते थे तो बुरा टी लगता था पर सोचने पर मजबूर हो जाता था की ये सब एसा क्यों कहते ही थोड़ी खोज कारने पर पता चला की शहर के फोटोग्राफरो का इतिहास ही इस बात का जिम्मेदार हे । वे अपनी दुकानदारी लगवाने के चक्कर में पत्रकारों के आगे पीछे जी हजुरी करते थे या यूं की करते हैं । जिसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ रहा है फिर भी मेने हर नहीं मानी और आज तक संघर्स कर रहा हूँ की कभी तो इस धारणा को बदल पाऊंगा जिसमे कुछ हद तक कामयाबी मिली है किन्तु संतुस्टीके लिए बहुत कुछ बाकी है। मेरी सुरूआत देश बंधू से हुई वहां मनोज वर्मा का साथ मिला जिन्होंने मुझे प्रेस फोटोग्राफी के विषय में बताया उनके साथ काम करने से मुझ में कांफिडेंस आया । जब नवभारत में था तब मुझे श्री पंकज शुक्ल जी ने एक बात कही थी की इन बातो को ध्यान मत दो और अपना कम करो तुम लिखना चाहते हो लिखो ये कोई जरूरी नहीं की डिग्री वाले ही रिपोर्टिंग कर सकते है। ये बात मेरे लिए वरदान साबित हुई जिससे आज में जो भी हूँ इसका श्रेय श्री पंकज शुक्ल जी को देता हूँ .एसा नहीं की किसी और ने मेरे लिए कुछ न किया हो लेकिन बीज अंकुरित करना फिर पोधे को रोप कर उसे सहेजने वाला ही उसका संरक्षक होता है .

Monday, November 30, 2009

नमस्कार,
मैं भी आ गया बड़ो के बीच मैं
सोचा ना था के आप लोगों का साथ मिलेगा

आशीर्वाद के लिया प्रतीक्षा में

आपका लाली