Friday, October 15, 2010

चोट खाए दिल को लिए,
मरने के इंतजार में जी रहे हैं,
वो दिल जलाने  के हर मौके पर सफल हैं,
और हम हरे हुए दिल का अरमानो को पी रहे हैं,
मिस यू

Saturday, September 4, 2010

तेरी याद आई


आज शाम फिर तेरी याद आई 
 तू ना रही बस थी तन्हाई 
 यूं आकाश में अकेला उड़ा था
साथ था तेरा प्यार
खुसबू से महकी हवा
खींचे चले आये प्यार के मारे
मंजिल का तो पता नहीं मेरी
लोगो को मंजिल तक पहुचाना
यही मेरा काम है
तेरे प्यार का दूसरा यही नाम है 



Saturday, April 24, 2010

दरख्त

आज भी याद आती है  उनकी जब दरख्तों से पत्ते साथ छोड़ देते
कुछ  दूर  साथ  चलकर  जो  अपनों  का  हाथ  छोड़  देते है
हम  तो  फिर  भी  दिल  में  उनकी  यादों  को  साथ  रखते  है
एक  वो  ही  हैं  जो  नजरों के  सामने  आते  ही  मूह  फेर  लेते  है
आज भी याद आती है उनकी जब दरख्तों से पत्ते साथ छोड़ देते
कभी  एक  पल  भी  हमारे  बिना वो जी नहीं पते थे 
आज  अकेले ही मंजिलों का मीलों सफ़र  तय  करते है
हम तो आज भी इंतजार कर रहे उस पल का 
जब कोई हमारी गली में उनको बापस लेकर आएगा 
उसका क़र्ज़ तो हम अदा न कर पायंगे बस दिल ही दिल में 
उसके एहसानों को रखकर प्यार के साथ याद किय जायेंगे 

Monday, January 4, 2010

मन का विस्वास ही सफलता दिलाता है

जब में १० अगस्त २००९ को जबलपुर से भोपाल आया था तो मन में डर था यदि काम अच्छा नहीं कर पाया तो कहीं का नहीं रह जाऊँगा लेकिन अपने आप पर विस्वास और कुछ कर दिखाने के लिए ये रिस्क ली अब
मैं राहत महसूस कर रहा हूँ क्योंकि शहर को जान ने लगा हूँ भोपाल और जबलपुर के लोगों में बहुत अंतर है यहाँ मिलनसार और मददगार ज्यादा है तो जबलपुर मैं इसका प्राटिस्ट कम है यहाँ कामं की वैल्यू है न की चापलूसों की जमात की बतोर फोटोजर्नलिस्ट एक पहचान बन रही है जिसकी सुरूआत अच्छी हुई कभी सोचता हूँ की यही काम जबलपुर मैं करता था लेकिन वो नाम नहीं मिला और न ही काम दिखाने का मौका 8 कॉलम फोटो नाम सहित इससे पहले कभी भी नहीं लगे जबलपुर नव भारत , देनिक भास्कर ,हरी भूमि का मेरा अनुभव बहुत बूरा रहा हई जहाँ अच्छे लोगों के साथ बुरे ज्यादा मिले लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपना काम करता रहा मेरा आलोचकों की संख्या बहुत है क्योंकि मैं अपने काम में किसी की नहीं सुनता था रिपोर्टर प्रेस का काम कम अपनी नौकरी ज्यादा करवाते थे जो की मुझे मंजूर नहीं था भोपाल की एक और खासियत यहाँ फोटो ग्राफर और रिपोर्टर में समानता हई जबकि जबलपुर में फोटो ग्राफर को रिपोर्टर से जूनियर माना जाता है चाहे वो रिपोर्टर की उम्र का अनुभव रखता हो इन्हीं बातों से परेशान था में पर उपर वाले ने मेरी सुन ली और मुझे आज भोपाल में काम करने का मौका दिया