Wednesday, August 10, 2016

मुझे पता है....

मुझे पता है तुम बहुत प्यार करते होलेकिन कहने से जाने क्यों डरते होकान्हां की दीवानी थी राधा रानीजग ने भी जानी मीरा की कहानीतुम भी ऐसे ही मुझमें समा जाओन देह दिखे, न वस्त्र, ऐसे मिल जाओकलियुग में माना वासना ही प्रेम हैकिंतु मेरे ह्रदय की में आज भी राधा रानी मीरा दीवानी सा प्रेम हैबस तुम रह न जाना जीवन में खालीबिखरी रहे मुख मंडल पर खुशी की लालीप्रेम है तो कह जाओ नयनों की भाषा मेंनीलाम्बर भी टिका है जैसे पृथ्वी की अभिलाषा में 

- लाली कोष्टा

Saturday, January 30, 2016

तुम्हारी तस्वीर

तुम्हारी तस्वीर जब भी इस गली आता हूं मैं तुम्हारी तस्वीर नजर आ जाती है न चाहते हुए नजर रुक जाती है जानें क्या बात है इसमें समाई न मैं तुम्हारा हूं, न तुम हो पराई आंखों से दिल में ये उतर आई अब हर पल, हल लम्हा देखूं ऐसा कहता है ये मन विचलित होकर भी स्थिर हूं कर लिए लाख जतन बस तुमको पाना है मकसद अब उम्र का बंधन तोड़कर आना होगा हर निगाह से तुमको बचाना होगा सोचता हूं वो घड़ी आएगी कब जब भी इस गली आता हूं मैं तुम्हारी तस्वीर नजर आ जाती है - लाली कोष्टा

Tuesday, December 9, 2014

आज फिर लौटा हूं शब्दों की दुनिया में

Saturday, August 24, 2013

Wednesday, May 11, 2011

Thursday, January 20, 2011

इश्क का अंजाम


प्यार में बस  काम यही होता है,
कि आदमी कोई काम का नहीं रहता,
प्यार करने का अंजाम यही होता है,
गर यकीं न हो तो दिल देके देख लो,
मुहब्बत में गम के आंसू पीकर देख लो,
पता चल जायेगा इश्क का अंजाम,
ज़माने से इसे छुपाकर तो देख लो .
.......................................लाली

Monday, January 17, 2011

जबलपुर शहर के लिए बस इतना ही कहा जा सकता ही कि -
झूठी तारीफ जो हमने कर दी,
वो इतने में  ही  मगरूर है,
सुना है पत्थर दिल शहर  के,
पत्थर भी दुनिया में मशहूर है!

Friday, October 15, 2010

चोट खाए दिल को लिए,
मरने के इंतजार में जी रहे हैं,
वो दिल जलाने  के हर मौके पर सफल हैं,
और हम हरे हुए दिल का अरमानो को पी रहे हैं,
मिस यू

Saturday, September 4, 2010

तेरी याद आई


आज शाम फिर तेरी याद आई 
 तू ना रही बस थी तन्हाई 
 यूं आकाश में अकेला उड़ा था
साथ था तेरा प्यार
खुसबू से महकी हवा
खींचे चले आये प्यार के मारे
मंजिल का तो पता नहीं मेरी
लोगो को मंजिल तक पहुचाना
यही मेरा काम है
तेरे प्यार का दूसरा यही नाम है 



Saturday, April 24, 2010

दरख्त

आज भी याद आती है  उनकी जब दरख्तों से पत्ते साथ छोड़ देते
कुछ  दूर  साथ  चलकर  जो  अपनों  का  हाथ  छोड़  देते है
हम  तो  फिर  भी  दिल  में  उनकी  यादों  को  साथ  रखते  है
एक  वो  ही  हैं  जो  नजरों के  सामने  आते  ही  मूह  फेर  लेते  है
आज भी याद आती है उनकी जब दरख्तों से पत्ते साथ छोड़ देते
कभी  एक  पल  भी  हमारे  बिना वो जी नहीं पते थे 
आज  अकेले ही मंजिलों का मीलों सफ़र  तय  करते है
हम तो आज भी इंतजार कर रहे उस पल का 
जब कोई हमारी गली में उनको बापस लेकर आएगा 
उसका क़र्ज़ तो हम अदा न कर पायंगे बस दिल ही दिल में 
उसके एहसानों को रखकर प्यार के साथ याद किय जायेंगे 

Monday, January 4, 2010

मन का विस्वास ही सफलता दिलाता है

जब में १० अगस्त २००९ को जबलपुर से भोपाल आया था तो मन में डर था यदि काम अच्छा नहीं कर पाया तो कहीं का नहीं रह जाऊँगा लेकिन अपने आप पर विस्वास और कुछ कर दिखाने के लिए ये रिस्क ली अब
मैं राहत महसूस कर रहा हूँ क्योंकि शहर को जान ने लगा हूँ भोपाल और जबलपुर के लोगों में बहुत अंतर है यहाँ मिलनसार और मददगार ज्यादा है तो जबलपुर मैं इसका प्राटिस्ट कम है यहाँ कामं की वैल्यू है न की चापलूसों की जमात की बतोर फोटोजर्नलिस्ट एक पहचान बन रही है जिसकी सुरूआत अच्छी हुई कभी सोचता हूँ की यही काम जबलपुर मैं करता था लेकिन वो नाम नहीं मिला और न ही काम दिखाने का मौका 8 कॉलम फोटो नाम सहित इससे पहले कभी भी नहीं लगे जबलपुर नव भारत , देनिक भास्कर ,हरी भूमि का मेरा अनुभव बहुत बूरा रहा हई जहाँ अच्छे लोगों के साथ बुरे ज्यादा मिले लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपना काम करता रहा मेरा आलोचकों की संख्या बहुत है क्योंकि मैं अपने काम में किसी की नहीं सुनता था रिपोर्टर प्रेस का काम कम अपनी नौकरी ज्यादा करवाते थे जो की मुझे मंजूर नहीं था भोपाल की एक और खासियत यहाँ फोटो ग्राफर और रिपोर्टर में समानता हई जबकि जबलपुर में फोटो ग्राफर को रिपोर्टर से जूनियर माना जाता है चाहे वो रिपोर्टर की उम्र का अनुभव रखता हो इन्हीं बातों से परेशान था में पर उपर वाले ने मेरी सुन ली और मुझे आज भोपाल में काम करने का मौका दिया