Monday, September 13, 2010
लापतागंज
Saturday, September 4, 2010
तेरी याद आई
आज शाम फिर तेरी याद आई
तू ना रही बस थी तन्हाई
यूं आकाश में अकेला उड़ा था
साथ था तेरा प्यार
खुसबू से महकी हवा
खींचे चले आये प्यार के मारे
मंजिल का तो पता नहीं मेरी
लोगो को मंजिल तक पहुचाना
यही मेरा काम है
तेरे प्यार का दूसरा यही नाम है
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