Saturday, October 30, 2010
Friday, October 15, 2010
Tuesday, October 12, 2010
Saturday, October 9, 2010
Friday, October 8, 2010
Monday, September 13, 2010
Saturday, September 4, 2010
तेरी याद आई

आज शाम फिर तेरी याद आई
तू ना रही बस थी तन्हाई
यूं आकाश में अकेला उड़ा था
साथ था तेरा प्यार
खुसबू से महकी हवा
खींचे चले आये प्यार के मारे
मंजिल का तो पता नहीं मेरी
लोगो को मंजिल तक पहुचाना
यही मेरा काम है
तेरे प्यार का दूसरा यही नाम है
साथ था तेरा प्यार
खुसबू से महकी हवा
खींचे चले आये प्यार के मारे
मंजिल का तो पता नहीं मेरी
लोगो को मंजिल तक पहुचाना
यही मेरा काम है
तेरे प्यार का दूसरा यही नाम है
Monday, August 30, 2010
Sunday, August 29, 2010
Saturday, April 24, 2010
दरख्त
आज भी याद आती है उनकी जब दरख्तों से पत्ते साथ छोड़ देते
कुछ दूर साथ चलकर जो अपनों का हाथ छोड़ देते है
हम तो फिर भी दिल में उनकी यादों को साथ रखते है
एक वो ही हैं जो नजरों के सामने आते ही मूह फेर लेते है
आज भी याद आती है उनकी जब दरख्तों से पत्ते साथ छोड़ देते
कभी एक पल भी हमारे बिना वो जी नहीं पते थे
आज अकेले ही मंजिलों का मीलों सफ़र तय करते है
हम तो आज भी इंतजार कर रहे उस पल का
जब कोई हमारी गली में उनको बापस लेकर आएगा
उसका क़र्ज़ तो हम अदा न कर पायंगे बस दिल ही दिल में
उसके एहसानों को रखकर प्यार के साथ याद किय जायेंगे
Monday, January 4, 2010
मन का विस्वास ही सफलता दिलाता है

मैं राहत महसूस कर रहा हूँ क्योंकि शहर को जान ने लगा हूँ भोपाल और जबलपुर के लोगों में बहुत अंतर है यहाँ मिलनसार और मददगार ज्यादा है तो जबलपुर मैं इसका प्राटिस्ट कम है यहाँ कामं की वैल्यू है न की चापलूसों की जमात की बतोर फोटोजर्नलिस्ट एक पहचान बन रही है जिसकी सुरूआत अच्छी हुई कभी सोचता हूँ की यही काम जबलपुर मैं करता था लेकिन वो नाम नहीं मिला और न ही काम दिखाने का मौका 8 कॉलम फोटो नाम सहित इससे पहले कभी भी नहीं लगे जबलपुर नव भारत , देनिक भास्कर ,हरी भूमि का मेरा अनुभव बहुत बूरा रहा हई जहाँ अच्छे लोगों के साथ बुरे ज्यादा मिले लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपना काम करता रहा मेरा आलोचकों की संख्या बहुत है क्योंकि मैं अपने काम में किसी की नहीं सुनता था रिपोर्टर प्रेस का काम कम अपनी नौकरी ज्यादा करवाते थे जो की मुझे मंजूर नहीं था भोपाल की एक और खासियत यहाँ फोटो ग्राफर और रिपोर्टर में समानता हई जबकि जबलपुर में फोटो ग्राफर को रिपोर्टर से जूनियर माना जाता है चाहे वो रिपोर्टर की उम्र का अनुभव रखता हो इन्हीं बातों से परेशान था में पर उपर वाले ने मेरी सुन ली और मुझे आज भोपाल में काम करने का मौका दिया
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