Monday, January 4, 2010

मन का विस्वास ही सफलता दिलाता है

जब में १० अगस्त २००९ को जबलपुर से भोपाल आया था तो मन में डर था यदि काम अच्छा नहीं कर पाया तो कहीं का नहीं रह जाऊँगा लेकिन अपने आप पर विस्वास और कुछ कर दिखाने के लिए ये रिस्क ली अब
मैं राहत महसूस कर रहा हूँ क्योंकि शहर को जान ने लगा हूँ भोपाल और जबलपुर के लोगों में बहुत अंतर है यहाँ मिलनसार और मददगार ज्यादा है तो जबलपुर मैं इसका प्राटिस्ट कम है यहाँ कामं की वैल्यू है न की चापलूसों की जमात की बतोर फोटोजर्नलिस्ट एक पहचान बन रही है जिसकी सुरूआत अच्छी हुई कभी सोचता हूँ की यही काम जबलपुर मैं करता था लेकिन वो नाम नहीं मिला और न ही काम दिखाने का मौका 8 कॉलम फोटो नाम सहित इससे पहले कभी भी नहीं लगे जबलपुर नव भारत , देनिक भास्कर ,हरी भूमि का मेरा अनुभव बहुत बूरा रहा हई जहाँ अच्छे लोगों के साथ बुरे ज्यादा मिले लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपना काम करता रहा मेरा आलोचकों की संख्या बहुत है क्योंकि मैं अपने काम में किसी की नहीं सुनता था रिपोर्टर प्रेस का काम कम अपनी नौकरी ज्यादा करवाते थे जो की मुझे मंजूर नहीं था भोपाल की एक और खासियत यहाँ फोटो ग्राफर और रिपोर्टर में समानता हई जबकि जबलपुर में फोटो ग्राफर को रिपोर्टर से जूनियर माना जाता है चाहे वो रिपोर्टर की उम्र का अनुभव रखता हो इन्हीं बातों से परेशान था में पर उपर वाले ने मेरी सुन ली और मुझे आज भोपाल में काम करने का मौका दिया

5 comments:

  1. सुन्दर संघर्षों की कहानी,

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  2. बहुत खूब, कुछ करने के लिए बहार निकलना पड़ता है

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  3. नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।

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  4. अनेक शुभकामनाएँ...बहुत नाम कमायें.

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